Chhat Puja 2024: छठ पूजा में क्यों इस्तेमाल करते है बांस का सूप, जाने इसका महत्व और इतिहास
छठ पूजा के दौरान बाँस की सूप का उपयोग हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण और परंपरागत परंपरा है। इस परंपरा के पीछे कई धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताएँ हैं। आइए जानते हैं कि छठ पूजा में सूप का उपयोग क्यों किया जाता है और इसकी परंपरा कैसे शुरू हुई।
हिंदू धर्म में छठ पूजा के दौरान बाँस के सूप का बहुत महत्व है। बाँस एक प्राकृतिक वस्तु है और इसे प्रकृति का प्रतीक माना जाता है। छठ पूजा में प्रकृति की पूजा की जाती है, इसलिए छठ पूजा में बाँस के सूप का उपयोग किया जाता है। बाँस को शुद्ध और पवित्र माना जाता है, इसलिए इसका उपयोग पूजा के लिए किया जाता है। छठ पूजा में सूप का उपयोग करने के पीछे मान्यता यह है कि इसके उपयोग से सूर्य भगवान प्रसन्न होते हैं और भक्त को इच्छित फल प्राप्त होता है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और छठ पूजा का एक अभिन्न हिस्सा बन गई है।
आपको बता दें कि छठ पूजा चार दिनों की होती है जिसमें पहले दिन नहाय-खाय, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन छठ पूजा और चौथे दिन संध्या अर्घ्य दिया जाता है. छठी मैया और सूर्य देव को समर्पित इस पूजा में व्रती सूर्य को अर्घ्य देते हैं और अपने परिवार के लिए सुख-समृद्धि की प्रार्थना करते हैं। इस पूजा में बांस की टोकरी, नारियल, केला, अनार, ठेकुआ, गन्ना, दीपक, दूध आदि की आवश्यकता होती है। ऐसे में आइए जानते हैं छठ पूजा के दौरान जरूरी चीजों के बारे में।
छठ पूजा 2024 शुभ मुहूर्त
- संध्या अर्घ्य के लिए सूर्यास्त का समय: 30 अक्टूबर से 7 नवंबर को 12:41 बजे तक
- उषा अर्घ्य के लिए सूर्योदय का समय: 31 अक्टूबर सुबह 06:31 बजे
छठ पूजा 2024 कैलेंडर
5 नवंबर 2024 - नहाय खाय (छठ पूजा का पहला दिन)
6 नवंबर 2024- खरना (छठ पूजा का दूसरा दिन)
7 नवंबर 2024- अस्त सूर्य को अर्घ्य (छठ पूजा का तीसरा दिन)
8 नवंबर 2024 - उगते सूर्य को नमस्कार (छठ पूजा का चौथा दिन)
छठ पूजा 2024 पूजा सामग्री सूची
- गन्ना
- कपूर
- चिराग
- अगरबत्ती
- टब
- कुमकुम
- चंदन
- अगरबत्ती
- माचिस
- फूल
- हरे पान के पत्ते
- साबूत सुपारी
- शहद
- हल्दी
- जड़ों
- नारियल पानी
- अखंड
- हरा अदरक का पौधा
- बड़ा मीठा नींबू
- कस्टर्ड सेब
- केला और नाशपाती
- शकरकंद
- सुथनी
- मीठा, पीला सिन्दूर
- चिराग
- घी
- लौकी
- गेहूँ
- चावल का आटा
- सूप और टोकरियाँ