Gujarat: पंचमहल में किसानों के लिए फूलों की खेती बनी वरदान, जानें कैसे?

Gujarat: पंचमहल में किसानों के लिए फूलों की खेती बनी वरदान, जानें कैसे?
Shubham Pandey JHBNEWS टीम,सूरत 2024-11-05 12:45:22

गुजरात के पंचमहल जिले का अराद गांव गेंदे के फूलों की खेती के लिए चर्चा में है. यहां पारंपरिक खेती को छोड़ किसान अब गेंदे की खेती की ओर रुख कर रहे हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि उन्हें गेंदे के लिए अच्छा मार्केट मिल रहा है. गुजरात समेत पड़ोसी राज्यों के फूल व्यापारी अब सीधे अराद गांव के किसानों से खरीदारी कर रहे हैं. 500 से ज्यादा बीघा जमीन में इस बार गेंदे की खेती की गई है. सबसे बड़ी बात यह है कि गांव के किसान गेंदे के फूलों की खेती से बम्पर कमाई भी कर रहे है.

पंचमहल जिले के सभी किसानों ने गेंदें की खेती कर अपना जीवन बेहतरीन बनाया कहा बताया जा रहा है इस जिले के सभी किसान इस बार मंडली बनकर गेंदें फूल की खेती की जो अलग अलग राज्यों तक गुजरात की सुगंधित फूल दूसरे राज्य में भी महका. 

आइए जानते है गेंदें फूल का इतिहास 

16वीं शताब्दी की शुरुआत में ही गेंदा, मैक्सिको से विश्व के अन्य भागों में प्रसारित हुआ। गेंदे के पुष्प का वैज्ञानिक नाम टैजेटस एक गंधर्व टैजस के नाम पर पड़ा है जो अपने सौन्दर्य के लिए प्रसिद्ध था। अफ्रीकन गेंदे का स्पेन में सर्वप्रथम प्रवेश सोलहवीं शताब्दी में हुआ और यह रोज आफ दी इंडीज नाम से समस्त दक्षिणी यूरोप में प्रसिद्ध हुआ। फ्रेंच गेंदे का भी विश्व में प्रसार अफ्रीकन गेंदे की भांति ही हुआ।

गेंदे का फूल, जिसे हिंदी में कैलेंडुला कहते हैं, एक सुंदर पौधा है जिसका उपयोग हमारे स्वास्थ्य और सौंदर्य के लिए किया जाता है। यह एक प्राकृतिक औषधि के रूप में मान्यता प्राप्त होता है और पुराने समय से चिकित्सा में उपयोग किया जाता रहा है। यह पौधा मुख्य रूप से यूरोप से लेकर देशों में पाया जाता है। इसे विविध देशों में गेंदा, मेरीगोल्ड, मैरिगोल्ड, मारिगोल्ड और हार्ट कोंगो से भी जाना जाता है। इसके फूल गहरे नारंगी रंग के होते हैं और इसका पौधा 1 से 2 फुट तक की होती है।

कैलेंडुला के पत्ते हरे होते हैं जो मदहवी बूटियों के साथ एक ऐतिहासिक चर्मरोग के रूप में मान्यता प्राप्त कर रहे हैं। इसके फूल धूप में आंखों को संरक्षित करके रंगत विराजमान करते हैं और जले हुए त्वचा को ठीक करने में मदद करते हैं। इसका उपयोग हमारे शरीर को ठंडक पहुंचाने, दर्द और सूजन को कम करने, आंत्रदंश और पेट की कठोरता को दूर करने, अल्सर को भरने, पित्त को शांत करने और शोधक्रिया को बढ़ाने के लिए किया जाता है।