आज मनाई जाएगी सीता नवमी, जानिए क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि, महत्व
हिंदू धर्म के लिए सीता नवमी का पर्व बेहद खास होता है। ग्रंथों और वेदों के अनुसार, माता सीता का जन्म इसी शुभ दिन पर हुआ था। सीता नवमी को लोग जानकी नवमी के नाम से भी जानते हैं। इस दिन को भक्त बड़े उत्साह और उमंग के साथ मनाते हैं। यह पर्व हर साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। इस साल यह 16 मई, 2024 यानी की आज मनाया जाता है
वैदिक पंचांग के अनुसार वैशाख माह में शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि की शुरुआत 16 मई 2024 को सुबह 04 बजकर 51 मिनट पर हो रही है। साथ ही इस तिथि का समापन 17 मई को सुबह 07 बजकर 19 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि को आधार मानते हुए सीता नवमी 16 मई गुरुवार के दिन मनाई जाएगी। वहीं सीता नवमी शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 07 मिनट से शुरू होकर दोपहर 01 बजकर 22 मिनट तक रहेगा।
वैष्णव संप्रदाय में आज माता सीता के निमित्त व्रत रखने की परंपरा भी है। आज व्रत रखकर श्री राम की मूर्ति सहित माता सीता का पूरे विधि-विधान से पूजन करना चाहिए और उनकी स्तुति करनी चाहिए । कहते हैं इस दिन जो कोई भी व्रत करता है, उसे सोलह महादानों और सभी तीर्थों के दर्शन का फल मिलता है। लिहाजा आज के दिन का आपको लाभ अवश्य ही उठाना चाहिए। साथ ही माता सीता और श्री राम के मंत्र का 11 बार जप करना चाहिए। मंत्र इस प्रकार है- श्री सीतायै नमः। श्री रामाय नमः। इस प्रकार मंत्र जप करके माता सीता और श्री राम,दोनों को पुष्पांजलि चढ़ाकर उनका आशीर्वाद लें। इससे आपके सारे मनोरथ सिद्ध होंगे, आपकी सारी इच्छाएं पूरी होंगी।
वाल्मिकी रामायण के अनुसार एक बार मिथिला में भयंकर सूखा पड़ा था जिस वजह से राजा जनक बेहद परेशान हो गए थे। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए उन्हें एक ऋषि ने यज्ञ करने और खुद धरती पर हल चलाने का सुझाव दिया। राजा जनक ने अपनी प्रजा के लिए यज्ञ करवाया और फिर धरती पर हल चलाने लगे। तभी उनका हल धरती के अंदर किसी वस्तु से टकराया। मिट्टी हटाने पर उन्हें वहां सोने की डलिया में मिट्टी में लिपटी एक सुंदर कन्या मिली। जैसे ही राजा जनक सीता जी को अपने हाथ से उठाया, वैसे ही तेज बारिश शुरू हो गई। राजा जनक ने उस कन्या का नाम सीता रखा और उसे अपनी पुत्री के रूप में स्वीकार किया।