वीर नर्मद विश्वविद्यालय का 55वां विशेष दीक्षांत समारोह आयोजित किया गया
वीर कवि नर्मद की 191वीं जयंती के शुभ अवसर पर शिक्षा राज्य मंत्री प्रफुलभाई पानसेरिया की अध्यक्षता में वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय का 55वां विशेष दीक्षांत समारोह आयोजित किया गया। इस समारोह में शिक्षा मंत्री और गणमान्य व्यक्तियों के हाथों से 12 विद्याशाखाओं के 85 पाठ्यक्रमों के 39,666 युवा छात्र-छात्राओं को डिग्रियाँ प्रदान की गईं। इसके अलावा 42 पी.एच.डी. और 4 एम.फिल. की डिग्रियाँ भी प्रदान की गईं। इस समारोह में पूर्व कुलपति प्रो. रमेशचंद्र कोठारी विशेष रूप से उपस्थित रहे।
खास बात यह रही कि दीक्षांत समारोह में शिक्षा राज्य मंत्री प्रफुलभाई पानसेरिया ने एक विद्यार्थी की तरह पॉलिटिकल साइंस की मास्टर डिग्री प्राप्त की। उन्होंने नर्मद विश्वविद्यालय से एम.ए. (पॉलिटिकल साइंस) का दो साल का एक्सटर्नल कोर्स करके परीक्षा उत्तीर्ण की थी।
शंखनाद, वैदिक मंत्रोच्चार और सूर्यपुर संस्कृत पाठशाला के ऋषिकुमारों द्वारा तैत्तिरीय उपनिषद के श्लोकों के गायन से भारत की पारंपरिक संस्कृति की झलक के साथ इस समारोह का भव्य शुभारंभ हुआ, जिसने सभी का ध्यान आकर्षित किया।
दीक्षांत भाषण देते हुए शिक्षा मंत्री प्रफुलभाई पानसेरिया ने ‘विनम्र बनाता है वह ज्ञान’ के सिद्धांत के माध्यम से युवाओं को भारतीय परंपरा से अवगत कराते हुए उच्च शैक्षिक डिग्री प्राप्त कर समाज और देश के हित में सेवा कार्य करने के लिए प्रेरित किया। मंत्री ने ‘विद्या विनय से शोभा पाती है’ कहावत का उदाहरण देकर छात्रों को विनम्र और विवेकी बनने की सीख दी। उन्होंने भारत की प्राचीन गुरुकुल परंपरा का उल्लेख करते हुए कहा कि ऋषिमुनि अपने शिष्यों को शिक्षा-दीक्षा देकर अंत में ‘सत्यं वद धर्मं चर स्वाध्यायान्मा प्रमदः’ सत्य बोलने, धर्म का आचरण करने और अध्ययन में आलस्य न करने की शिक्षा देते थे। उन्होंने डिग्री प्राप्त कर रहे छात्रों से कहा कि वे स्वाध्याय और ज्ञान उपार्जन में कभी भी आलस्य न करें।
मंत्री ने जोर देकर कहा कि सिर्फ शिक्षित होना पर्याप्त नहीं है, गुणवान और संस्कारी होना भी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि केवल भौतिक डिग्री के आधार पर छात्र का मूल्यांकन नहीं किया जा सकता। मन, वचन और कर्म से संस्कारित, शिक्षित बनकर हमें प्राप्त ज्ञान का उपयोग लोगों की सेवा और कल्याण के लिए करना चाहिए।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत राज्य सरकार ने कक्षा 6 से 8 के छात्रों के पाठ्यक्रम में 'श्रीमद्भगवद गीता' को शामिल करके जीवन मूल्यों का पाठ पढ़ाने और बच्चों को दृढ़ निश्चयी, संस्कारी और कर्मशील बनाने का लक्ष्य रखा है। मंत्री ने कहा कि मानवीय दृष्टिकोण के साथ प्राप्त शिक्षा ही देश की उन्नति और प्रगति की नींव है। भारतीय संस्कृति में ज्ञान की पूजा होती है, जो सबका भला करने की भावना रखता है। प्रेम, सद्भाव और करुणा का बीजारोपण करने वाला ही सच्चा ज्ञान है। उन्होंने सभी से एकजुट होकर 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' के निर्माण की दिशा में आगे बढ़ने का आह्वान किया।
नर्मद विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और वर्तमान में इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस रिसर्च (यूनिवर्सिटी फॉर इनोवेशन-गांधीनगर) के लोकायुक्त के रूप में कार्यरत प्रो. रमेशचंद्र कोठारी ने अपने प्रेरणादायक संबोधन में कहा कि आधुनिक समय में रचनात्मक और आलोचनात्मक सोच के साथ अनुभवजन्य शिक्षा प्राप्त करना अत्यंत आवश्यक है। कॉलेज शिक्षा के माध्यम से जो ज्ञान प्राप्त किया गया है, वह केवल स्वयं के उत्कर्ष के लिए नहीं बल्कि लोककल्याण और राष्ट्र के निर्माण के लिए भी उपयोगी हो, ऐसा प्रयास करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि विज्ञान के क्षेत्र में गुजरात के छात्रों की रुचि बढ़नी चाहिए। समाज, राज्य और राष्ट्र को नव-उद्योगी युवाओं से बड़ी उम्मीदें हैं। युवाओं को निरंतर अध्ययन के माध्यम से अपने करियर को उज्जवल बनाने का प्रयास करना चाहिए। छात्रों को हमेशा ज्ञान को ताजा रखने, मन-मस्तिष्क को निरंतर रीफ्रेश रखने की सलाह दी। अध्ययन के अलावा, पढ़ना और लिखना जीवन में करियर निर्माण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, ऐसा कहकर उन्होंने डिग्री प्राप्त करने वाले छात्रों को शुभकामनाएं दीं।
कुलपति डॉ. के.एन. चावड़ा ने छात्रों को उज्जवल भविष्य के लिए आशीर्वाद देते हुए युवाओं से नए चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहने और समाज और देश के हित में कार्य करने का अनुरोध किया। उन्होंने छात्रों को हमारे महान वैदिक विरासत का अनुसरण करने और चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार होकर श्रेष्ठ राज्य और राष्ट्र के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देने की सलाह दी। उन्होंने बताया कि भारत सरकार के NAD-नेशनल एकेडमिक डिपॉजिटरी और डिजिलॉकर में सभी डिग्रियों को अपलोड कर दिया गया है। विश्वविद्यालय ने पारदर्शी शिक्षा प्रक्रिया और प्रबंधन से शिक्षा जगत में अपनी अलग पहचान बनाई है।
डॉ. चावड़ा ने प्रधानमंत्री के ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान के तहत विश्वविद्यालय में आगामी 19 सितंबर से पहले 21 हज़ार वृक्ष लगाने का संकल्प लेकर अधिक से अधिक वृक्षारोपण में सभी को भाग लेने का आह्वान किया।