महंगाई : जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ीं खाद्य कीमतें, जानिए वर्ष 2023-24 में महंगाई ?
पिछले दो वर्षों में खराब मौसम, जलाशयों में घटते जलस्तर और फसल नुकसान ने कृषि उत्पादन को प्रभावित किया है, जिससे खाद्य कीमतों में वृद्धि हुई है। इससे खाद्य महंगाई 2021-22 के 3.8 फीसदी से बढ़कर 2022- 23 में 6.6 फीसदी और 2023-24 में 7.5 फीसदी पहुंच गई। मौसमी परिवर्तन, देश के उत्तरी भाग में मानसूनी बारिश का समय से पहले आना और भारी वर्षा के कारण अलग-अलग क्षेत्रों में लॉजिस्टिक व्यवधान से टमाटर की कीमतों में उछाल आया। प्याज की कीमतों में उछाल के लिए कई कारक जिम्मेदार हैं। इन चुनौतियों के बावजूद खुदरा महंगाई दुनिया के मुकाबले भारत में कम है।
सरकार ने कहा कि पिछले दो वर्षों में खाद्य मुद्रास्फीति एक वैश्विक घटना रही है। शोध से पता चलता है कि जलवायु परिवर्तन के कारण खाद्य कीमतों में वृद्धि हो रही है – जिनमें गर्मी की लू, असमान मानसून वितरण, बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि, मूसलाधार बारिश और ऐतिहासिक शुष्क परिस्थितियां शामिल हैं।
आर्थिक समीक्षा के अनुसार, मौसमी परिवर्तन, क्षेत्र-विशिष्ट फसल रोग जैसे कि ‘ह्वाइट फ्लाई’ मक्खी संक्रमण, देश के उत्तरी भाग में मानसून की बारिश का समय से पहले आना और भारी वर्षा के कारण अलग-अलग क्षेत्रों में ‘लॉजिस्टिक’ व्यवधान के कारण जुलाई, 2023 में टमाटर की कीमतों में उछाल आया।
वैज्ञानिकों ने आशंका जताई है कि जिस तरह वैश्विक तापमान में वृद्धि हो रही है, उसके चलते 2035 तक खाद्य कीमतों में सालाना 3.2 फीसदी की वृद्धि होने का अंदेशा है। इसके कारण न केवल खाद्य कीमतों में इजाफा होगा, साथ ही आम लोगों पर कहीं ज्यादा महंगाई की मार पड़ेगी। शोधकर्ताओं का अनुमान है कि खाद्य कीमतों में होने वाली इस वृद्धि से वैश्विक स्तर पर मुद्रास्फीति में 0.3 से 1.18 फीसदी तक की बढ़ोतरी हो सकती है।