Global Warming: ग्लोबल वार्मिंग से भूजल पर संकट, जानिए पूरी खबर
दुनिया में लगभग हर चार में से एक व्यक्ति जीवित रहने के लिए पृथ्वी की सतह के नीचे मौजूद जलाशयों पर निर्भर है
ग्लोबल वार्मिंग भूजल को भी प्रभावित कर सकती है। साफ पानी की झीलों, नदियों और बांधों तक आसान पहुंच नहीं हो पाने के कारण दुनिया में लगभग हर चार में से एक व्यक्ति जीवित रहने के लिए पृथ्वी की सतह के नीचे मौजूद जलाशयों पर निर्भर है। अब विज्ञानियों ने चेताया है कि सदी के अंत तक लाखों लोग पानी की इस मामूली आपूर्ति से भी वंचित हो सकते हैं, क्योंकि बढ़ते तापमान के कारण उथले भूजल के विषाक्त होने का खतरा है। शोधकर्ताओं की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने वैश्विक तापमान वृद्धि के विभिन्न परिदृश्यों के तहत कहा है कि सबसे खराब स्थिति में 2100 में लगभग 59 करोड़ लोग ऐसे जल स्रोतों पर निर्भर हो सकते हैं, जो पीने योग्य पानी के लिए सबसे कड़े मानकों को पूरा नहीं करते हैं।
इस समय गर्मी, पिघलती हुई बर्फ और समुद्रों का बढ़ता स्तर नियमित रूप से सुर्खियां बटोर रहे हैं, लेकिन हमारा ध्यान भूमि पर ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों की तरफ नहीं जाता। जलवायु परिवर्तन पर चर्चा करते हुए हमारा फोकस मौसम की घटनाओं और पानी की उपलब्धता पर रहता है, लेकिन हमें भूजल पर पड़ने वाले जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के बारे में अधिक व्यापक रूप से सोचने की आवश्यकता है। यह आश्चर्यजनक है कि भूजल के गर्म होने के परिणामों पर इतना कम ध्यान दिया गया है। सतह के ठीक नीचे छिद्रपूर्ण चट्टानों के भीतर फंसा पानी घुले हुए खनिजों, प्रदूषकों और संभावित रोगजनकों से भरा हो सकता है, लेकिन बहुत बड़ी आबादी के समक्ष इस प्रदूषित जल पर निर्भर रहने के सिवाय और कोई विकल्प नहीं है। इन भूमिगत जलाशयों को सिर्फ एक या दो डिग्री गर्म करने से परिणाम भयावह हो सकते हैं l
इससे पर्यावरण में ऑक्सीजन की कमी हो सकती है और खतरनाक बैक्टीरिया के विकास को बढ़ावा मिल सकता है, या आर्सेनिक और मैंगनीज जैसी भारी धातुओं की मात्रा पानी में घुल सकती है
विज्ञानियों के अनुसार दुनिया में पहले से ही लगभग तीन करोड़ लोग ऐसे क्षेत्रों में रह रहे हैं, जहां भूजल निर्धारित तापमान से ज्यादा गर्म है। इसका मतलब है कि बिना ट्रीटमेंट के वहां का पानी पीना सुरक्षित नहीं है। आसपास पर्याप्त आकार के सतही जलाशयों वाली आबादी के लिए भी गर्म भूजल उन प्रमुख कारकों को बदल सकता है, जो पानी को मानव उपभोग के लिए सुरक्षित रखते हैं। 7.7 करोड़ से 18.8 करोड़ लोगों के ऐसे क्षेत्र में रहने का अनुमान है जहाँ भूजल 2100 तक पीने योग्य मानकों को पूरा नहीं कर पाएगा। इससे पता चलता है कि भूजल की रक्षा के लिए कार्रवाई करना और भूजल पर जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक प्रभाव का मुकाबला करने के लिए स्थायी समाधान खोजना कितना आवश्यक है।
Written by: Ashutosh Shukla