सूरत: आज ताप्ती जन्मोत्सव, जानिए कैसे अवतरित हुई मां ताप्ती, पढ़े ताप्ती नदी की कथा

सूरत: आज ताप्ती जन्मोत्सव, जानिए कैसे अवतरित हुई मां ताप्ती, पढ़े ताप्ती नदी की कथा
Shubham Pandey JHBNEWS टीम,सूरत 2024-07-13 07:04:28

इस वर्ष ताप्ती जयंती 13 जुलाई, शनिवार को मनाई जा रही है। प्रतिवर्ष ताप्ती जन्मोत्सव आषाढ़ शुक्ल सप्तमी को मनाया जाता है। यह देश की प्रमुख नदियों में से एक है। आइए पढ़ें पुराणों में ताप्तीजी की जन्म...........|

आज के दिन बहुत ही शुभ माना जाता है ताप्ती जन्मोत्सव जुलाई के माह में बहुत ही हर्ष और उल्लास से मनाया जाता है, जिसमे सुरत वाशियो प्रतिवर्ष सूर्य पुत्री ताप्ती माता को लाल कलर की 108 मीटर चुनरी प्रसाद के रूप में चढ़ाई जाती है, इस दिन सभी घाट पर पूजा अर्चना करते हैं, हवन का भी प्रबंधन करते है और बहुत से स्थान पर तापी जन्मोत्सव के दिन मेला लगता है l 


आज के दिन सुरत वाशी ताप्ती नदी में पिछले वर्ष सुरत में स्थित नावडी ओवर पर माता ताप्ती जन्मोत्सव पर चुनरी चढ़ाई गई थीं, इस वर्ष जुलाई के महीने में ताप्ती जन्मोत्सव मनाया जा रहा है आज के दिन सुरत में स्थित कुरुक्षेत्र (शमशान घाट ) पर पूजा अर्चना और 1100 मीटर लम्बी चुनरी चढ़ाई जाएगी l 

भविष्य पुराण में ताप्ती महिमा के बारे में लिखा है कि सूर्य ने विश्वकर्मा की पुत्री संज्ञा/ संजना से विवाह किया था। संजना से उनकी 2 संतानें हुईं- कालिंदनी और यम। उस समय सूर्य अपने वर्तमान रूप में नहीं, वरन अंडाकार रूप में थे। संजना को सूर्य का ताप सहन नहीं हुआ, अत: वे अपने पति की परिचर्या अपनी दासी छाया को सौंपकर एक घोड़ी का रूप धारण कर मंदिर में तपस्या करने चली गईं।


पुराणों में ताप्ती के विवाह की जानकारी पढ़ने को मिलती है। वायु पुराण में लिखा गया है कि कृत युग में चन्द्र वंश में ऋष्य नामक एक प्रतापी राजा राज्य करते थे। उनके एक सवरण को गुरु वशिष्ठ ने वेदों की शिक्षा दी। एक समय की बात है कि सवरण राजपाट का दायित्व गुरु वशिष्ठ के हाथों सौंपकर जंगल में तपस्या करने के लिए निकल गए। प्रतिवर्ष कार्तिक माह में सूर्यपुत्री ताप्ती के किनारे बसे धार्मिक स्थलों पर मेला लगता है जिसमें लाखों की संख्या में श्रद्धालु नर-नारी कार्तिक अमावस्या पर स्नान करने के लिए आते हैं।


 पौराणिक तथ्य 

राजा दशरथ के शब्दभेदी से श्रवण कुमार की जल भरते समय अकाल मृत्यु हो गई थी। पुत्र की मौत से दुखी श्रवण कुमार के माता-पिता ने राजा दशरथ को श्राप दिया था कि उसकी भी मृत्यु पुत्रमोह में होगी। राम के वनवास के बाद राजा दशरथ भी पुत्रमोह में मृत्यु को प्राप्त कर गए लेकिन उन्हें जो हत्या का श्राप मिला था जिसके चलते उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति नहीं हो सकी।

कुरुवंश की जननी हैं ताप्ती

महाभारत के अनुसार, हस्तिनापुर में एक प्रतापी राजा थे, जिनका नाम संवरण था। इनका विवाह सूर्यदेव की पुत्री ताप्ती से हुआ था। ताप्ती और संवरण से ही कुरु का जन्म हुआ था। राजा कुरु के नाम से ही कुरु महाजनपद का नाम प्रसिद्ध हुआ, जो प्राचीन भारत के सोलह महाजनपदों में से एक था। भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र में ही अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। सूर्यपुत्री ताप्ती को उनके भाई शनिचर (शनिदेव) ने यह आशीर्वाद दिया कि जो भी भाई-बहन यम चतुर्थी के दिन ताप्ती और यमुनाजी में स्नान करेगा, उनकी कभी भी अकाल मौत नहीं होगी। इस नदी में दीपदान, पिंडदान और तर्पण का विशेष महत्व है।