सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला :- मुस्लिम महिला कर सकती अपने पति से गुजारा भत्ता मांग

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला :- मुस्लिम महिला कर सकती अपने पति से गुजारा भत्ता मांग
Shubham Pandey JHBNEWS टीम,सूरत 2024-07-10 11:55:57

सर्वोच्च न्यायालय ने आज बुधवार 10 जुलाई 2024को कहां की एक मुस्लिम महिला दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के तहत अपने पति के खिलाफ भरण-पोषण के लिए याचिका धार करने की हकदार है 

न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा, "हम इस निष्कर्ष के साथ आपराधिक अपील को खारिज कर रहे हैं कि धारा 125 सीआरपीसी सभी महिलाओं पर लागू होगी, न कि केवल विवाहित महिलाओं पर।"

पीठ ने स्पष्ट किया कि यदि सीआरपीसी की धारा 125 के तहत याचिका लंबित रहने के दौरान किसी मुस्लिम महिला को तलाक दे दिया जाता है, तो वह मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम 2019 का सहारा ले सकती है। पीठ ने कहा कि 2019 अधिनियम के तहत उपाय सीआरपीसी की धारा 125 के तहत उपाय के अतिरिक्त है।

जस्टिस बीवी नागरत्ना और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने सीआरपीसी की धारा 125 के तहत तलाकशुदा पत्नी को गुजारा भत्ता देने के निर्देश के खिलाफ मोहम्मद अब्दुल समद के जरिए दायर याचिका को खारिज कर दिया. कोर्ट ने माना कि 'मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम 1986' धर्मनिरपेश कानून पर हावी नहीं हो सकता है.

जस्टिस नागरत्ना और जस्टिस मसीह ने अलग-अलग, लेकिन सहमति वाले फैसले दिए. हाईकोर्ट ने मोहम्मद समद को 10 हजार रुपये गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया था.

एक मुस्लिम महिला आगा ने सीआरपीसी की धारा 125 के तहत याचिका दाखिल कर अपने पति से गुजारा भत्ते की मांग की थी. याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट में गुहार लगाई गई थी कि वो उसके पति को 20 हजार रुपये हर महीने अंतरिम गुजारा भत्ता देने का निर्देश दे.