आबकी बार INDIA में Alliance सरकार
राजनीतिक विशेषज्ञ :- आशुतोष शुक्ला
4 जून को लोकसभा चुनाव के परिणाम आए जिसमें किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला देश की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा को केवल 240 सीटें ही मिली जो 2014 और 2019 के मुकाबले बहुत कम है, ज़ाहिर है कि इस बार बिना गठबंधन की सरकार नहीं बन सकती भाजपा का गढ़ कहा जाने वाला उत्तर प्रदेश राम मंदिर बनने के बावजूद 80 में से केवल 33 सीटें ही मिली है वही गुजरात में इस बार कांग्रेस का खाता खुला वही मध्य प्रदेश में में पूरी 29 सीटें भाजपा को मिली है।
उत्तर प्रदेश का परिणाम भाजपा के समर्थकों के लिए बेहद निराशाजनक है परंतु क्या कारण हो सकता है कि विकास की सौगात देने के बाद भी लोग अन्य विकल्पों की ओर देख रहे हैं। आज सोशल मीडिया पर भाजपा समर्थक प्रदेश की जनता को कोस रहे है, किसी भी स्थिति में यह उचित नहीं है।
कुछ खबरे है भाजपा ने योगी के सुझाये सूची को टिकट न देकर गलती की परंतु यदि ऐसा है तो वाराणसी से मोदी की जीत भारी बहुमत से होनी चाहिए थी इस नतीजे का कारण जानने के लिए वहाँ के लोगों की समस्या समझनी होगी,
उत्तर प्रदेश देश के उन राज्यों में से है जहां के श्रमिक देश भर में रोजगार के लिए जाते है, जिसका कारण पूंजी और रोजगार के अवसर में अभाव है, जहां सरकार वंदे भारत जैसे ट्रेनें चला कर अपना बखान करते नहीं थकती, वही इन ट्रेनों से मध्यमवर्गीय जो की देश की सबसे बड़ी बहुसंख्यक है उसको कोई लाभ नहीं हुआ है, रेल्वे जो की केंद्र सरकार के विभाग में आता है, भाजपा के 10 वर्षों के शासन के बाद भी ट्रेन में आज देश के प्रवासी श्रमिक की स्थिति सड़क पर मुर्गी ले जाती गाड़ियों के बीच कुछ विशेष अंतर देखने को नहीं मिलता। मुर्गियों से भी खराब स्थिति कहे तो अतिशयोक्ति नहीं होगी हर वर्ष भीड़ के कारण मृत्यु की खबरे जरूर आती है।
वही कांग्रेस की ‘महालक्ष्मी’ योजना में हम गरीब परिवारों की एक महिला को हर साल 1 लाख रुपए देने का वचन दिया और भाजपा ने न ही कोई ऐसी योजना की बात की और न ही कांग्रेस की योजना को जुमला सिद्ध कर सकी और भाजपा पे 2014 से ही 15 लाख के जुमले को अभी तक जनता भूल नहीं पाई।
वहीं राज्य की जनता हर चुनाव में अपेक्षा रखती है कि उनका कर्ज माफ हो गठबंधन ने यहाँ की किसानों का ऋण और शिक्षा ऋण माफ करने का वचन दिया था जिसका प्रभाव सभी परिवारों पर प्रभाव पड़ता है।
तिहाड़ जेल से बाहर आने के बाद अरविंद केजरीवाल ने अपनी पहली प्रेस वार्ता में ही इस बात का दावा किया था कि अगर केंद्र में बीजेपी की सरकार फिर से बन गई तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री पद से हटा देंगे. इसके पीछे उन्होंने तर्क दिया कि पीएम मोदी सितंबर महीने के बाद अमित शाह को प्रधानमंत्री बनाना चाहते हैं. जमीनी स्तर पर यह भ्रम दूर करने में भी भाजपा असफल रही।
वही जहां सरकारी नौकरी इन राज्य के लोगों का आभूषण है वही निजीकरण और अग्निवीर जैसी योजनाओ ने राज्य के लोगों को निराश ही किया है साथ ही पुलिस परीक्षा में पेपर लीक के मामले का भी प्रभाव रहा होगा।
उत्तर प्रदेश की जनता सरकार से निजीकरण और कान्ट्रैक्ट नौकरी लागू करने के बाद
वही कुछ लोगों का मानना है की सनातन को बढ़ावा देने के लिए इस सरकार का चयन करना चाहिए अगर इस दृष्टि से भी देखे तो भी भाजपा अपने आपको सनातन पार्टी सिद्ध करने में भी असफल रही चुनाव के कुछ दिन पहले से ही भाजपा अपने आपको अल्पसख्यकों के लिए काँग्रेस से अधिक हितैषी सिद्ध करने में लगी रही।
आशा है की भाजपा आने वाले चुनावों में इसस परिणाम से सिख लेकर अपनी कार्यपद्दती और योजनाए लोगों तक स्पष्ट पहुचा सके ।