गर्मियों में बढ़ जाता है फूड पॉइजनिंग खतरा, इन बातों का रखें खास ध्यान वरना पड़ सकते हैं बीमार
गर्मियों में सेहत को लेकर बरती गई जरा भी लापरवाही कई प्रकार के स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है। उच्च तापमान और तेज धूप के कारण हीट स्ट्रोक का खतरा तो रहता ही है साथ ही गर्मियों में खान-पान को लेकर बरती गई लापरवाही के कारण फूड पॉइजनिंग यानी भोजन विषाक्तता होने का जोखिम भी बढ़ जाता है।
फूड पॉइजनिंग, खाद्य जनित बीमारी है जिसके कारण पेट खराब होना, दस्त और उल्टी की दिक्कत हो सकती है। वहीं अगर समय पर विषाक्तता का इलाज न हो पाए तो इसके कारण गंभीर निर्जलीकरण और इससे संबंधित अन्य दिक्कतें भी बढ़ने लगती हैं। आइए समझते हैं कि फूड पॉइजनिंग के क्या कारण होते हैं और इससे बचाव के लिए क्या उपाय किए जाने चाहिए?
फूड पॉइजनिंग में क्या दिक्कतें होती हैं?
फूड पॉइजनिंग के लक्षण बीमारी के कारणों के आधार पर अलग-अलग हो सकते हैं। सामान्यतौर पर भोजन विषाक्तता के कारण पेट खराब होने, उल्टी आने, दस्त, पेट में दर्द और ऐंठन, शौच से खून आने, बुखार के साथ सिरदर्द की समस्या हो सकती है। समय रहते इसका उपचार न हो पाने की स्थिति में निगलने में समस्या, कमजोरी का खतरा भी बढ़ जाता है। उल्टी-दस्त पर अगर समय रहते नियंत्रण न पाया गया तो इसके कारण गंभीर रूप से डिहाइड्रेशन हो सकता है, जो स्वास्थ्य जटिलताओं को और भी बढ़ाने वाली हो सकती है।
फूड पॉइजनिंग हो जाए तो क्या करें?
भोजन विषाक्तता का उपचार इस बात पर निर्भर करता है कि आपके लक्षण कितने गंभीर हैं और बीमारी का कारण क्या है? शरीर में तरल पदार्थ और इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी को दूर करने के लिए फ्लूइड चढ़ाने की आवश्यकता हो सकती है। यदि बीमारी बैक्टीरिया के कारण हुई है तो आपको एंटीबायोटिक की भी जरूरत हो सकती है।
स्वस्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं फूड पॉइजनिंग के खतरे से बचे रहने के लिए कुछ बातों पर विशेष ध्यान देते रहना जरूरी
डॉक्टर कहते हैं, फूड पॉइजनिंग न हो इसके लिए जरूरी है कि आप कुछ सामान्य से उपायों का निरंतर पालन करते रहें।
- नियमित रूप से अपने हाथों को साबुन और पानी से कम से कम 20 सेकंड तक धोएं। खाने से पहले और बाद में हाथ जरूर धोएं।
- फलों और सब्जियों को अच्छी तरह से धोकर ही खाएं।
- रसोई के बर्तनों को अच्छी तरह साफ करें।
- कच्चा या अधपका भोजन न खाएं।
- भोजन को बहुत देर तक न रखें। फ्रिज में भी भोजन को अच्छी तरह से ढककर ही रखें।