Lord Parshuram Jayanti: कब मनाएं भगवान परशुराम जयंती?
परशुरामजी की जयंती वैशाख मास में शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाई जाती है। इस पावन दिन को अक्षय तृतीया कहा जाता है। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया पर भगवान विष्णु के अवतार परशुराम का जन्म हुआ था। भगवान परशुराम भार्गव वंश में जन्मे भगवान विष्णु के छठे अवतार हैं, उनका जन्म त्रेतायुग में हुआ था। माना जाता है कि इस दिन किया गया दान-पुण्य कभी क्षय नहीं होता। अक्षय तृतीया के दिन जन्म लेने के कारण ही भगवान परशुराम की शक्ति भी अक्षय थी। इतना ही नहीं इनकी गिनती तो महर्षि वेदव्यास, अश्वत्थामा, राजा बलि, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य, ऋषि मार्कंडेय सहित उन आठ अमर किरदारों में होती है जिन्हें कालांतर तक अमर माना जाता है। उनके पिता का नाम जमदग्नि और माता का नाम रेणुका था l
पौराणिक ग्रंथों में वर्णित है कि भगवान परशुराम अत्यंत क्रोधी स्वभाव के थे। इनके क्रोध से देवी-देवता भी थर-थर कांपते थे। धार्मिक मान्यता के अनुसार, एक बार परशुराम ने क्रोध में आकर भगवान गणेश का दांत तोड़ दिया था। वहीं पिता के कहने पर उन्होंने अपनी मां को भी मार दिया था। इस दिन भगवान विष्णु के परशुराम अवतार की पूजा करने से शौर्य, कांति एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है और शत्रुओं का नाश होता है।
पंचांग के मुताबिक, 2024 यानी इस साल में परशुराम जयंती 10 मई को शुरू होगी, जो वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को सुबह 4:17 बजे से लेकर 11 मई को दोपहर 2:50 बजे तक रहेगी। जबकि उदयातिथि के मुताबिक देखा जाए तो 10 मई को ही परशुराम जयंती मनाई जाएगी, क्योंकि भगवान परशुराम का जन्म प्रदोष काल में हुआ था। इसलिए, परशुराम जयंती की पूजा शाम के समय में ही की जाती है।
माता का वध क्यों किया ?
भगवान परशुराम जी का अवतार सबसे प्रचंड और सबसे व्यापक रहा है. मान्यता है कि परशुराम जी का क्रोध ऐसा था कि धरती पर बढ़ रहे अत्याचार को रोकने के लिए उन्होंने 21 बार 21 बार क्षत्रियों का संहार किया था. वहीं पिता की आज्ञा का मान रखने के लिए भगवान परशुराम ने अपनी माता का वध कर दिया था, हालांकि बाद में पिता से ही वरदान मांगकर उन्होंने अपनी माता को पुन: जीवित कर लिया था.
यह भी पढ़े :
2. Loksabha Election 2024: पीएम मोदी के सामने श्याम रंगीला ने चुनाव लड़ने का किया ऐलान