महाराष्ट्र राजनीति: 20 साल बाद राज-उद्धव ठाकरे एक मंच पर, मराठी संस्कृति को लेकर दिया बड़ा संदेश

महाराष्ट्र राजनीति: 20 साल बाद राज-उद्धव ठाकरे एक मंच पर, मराठी संस्कृति को लेकर दिया बड़ा संदेश
Shubham Pandey JHBNEWS टीम,सूरत 2025-07-05 15:36:15

शिवसेना (UBT) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के नेता, उद्धव और राज ठाकरे, लगभग 20 वर्षों बाद शनिवार, 5 जुलाई को वरली के NSCI डोम में फिर से एक मंच पर आए। हिंदी थोपने की नीति के खिलाफ महाराष्ट्र में खड़ा होकर आयोजित हुए ‘आवाज मराठीचा’ कार्यक्रम में दोनों नेताओं ने मंच साझा किया और मराठी संस्कृति के महत्व को और मजबूत करने का संदेश दिया।


शिवाजी पार्क की बजाय वरली में रैली क्यों?

भीड़ को संबोधित करते हुए राज ठाकरे और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने दादर के शिवसेना के पारंपरिक मैदान 'शिवाजी पार्क' की बजाय वरली में रैली आयोजित करने का कारण भी बताया।

मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने कहा, "मैंने एक इंटरव्यू में कहा था कि मेरा महाराष्ट्र किसी भी राजनीति और लड़ाई से बड़ा है। आज 20 साल बाद, उद्धव और मैं साथ आए हैं। जो काम बालासाहेब नहीं कर सके, वह देवेंद्र फडणवीस ने कर दिखाया... हमें दोनों को एक साथ लाने का काम उन्होंने किया।"

इस संयुक्त कार्यक्रम में दोनों भाइयों ने एक-दूसरे का अभिवादन किया और हाथ मिलाया। राज ठाकरे ने हिंदी के समर्थन पर सवाल उठाते हुए पूछा कि जब उत्तर प्रदेश, बिहार और राजस्थान जैसे राज्य प्रगति नहीं कर पा रहे, तो महाराष्ट्र को हिंदी क्यों स्वीकार करनी चाहिए?

उन्होंने कहा, “मंत्री दादा भूसे मुझसे मिलने आए और अपनी बात सुनाने की विनती की। मैंने कहा कि मैं सुनूंगा, लेकिन सहमत नहीं होऊंगा। मैंने उनसे पूछा कि उत्तर प्रदेश, बिहार और राजस्थान की तीसरी भाषा कौन सी है? सभी हिंदी भाषी राज्य हमसे पीछे हैं, और हम उनसे आगे हैं, फिर भी हमसे हिंदी सीखने को कहा जा रहा है, क्यों?”

हिंदी का विरोध नहीं, मराठी की प्राथमिकता जरूरी

राज ने स्पष्ट किया कि उन्हें हिंदी से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन मराठी को कमजोर करने के किसी भी प्रयास का विरोध किया जाएगा। उन्होंने ऐतिहासिक मराठा शासन का हवाला देते हुए कहा कि मराठाओं ने कभी अपनी भाषा किसी पर नहीं थोपी। उन्होंने चेतावनी दी कि मराठी संस्कृति को कमजोर करने और मुंबई को महाराष्ट्र से अलग करने के प्रयासों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

उन्होंने कहा, “मुझे हिंदी से कोई विरोध नहीं है, कोई भी भाषा खराब नहीं होती। एक भाषा को बनाना होता है, मेहनत करनी पड़ती है। मराठा साम्राज्य के दौरान हमने कई राज्यों पर शासन किया, लेकिन हमने किसी पर मराठी नहीं थोपी। आज वे हम पर हिंदी थोपने का प्रयोग कर रहे हैं और देखना चाह रहे हैं कि अगर हमने विरोध नहीं किया, तो वे मुंबई को महाराष्ट्र से अलग कर देंगे।”

शिक्षा का मुद्दा और मराठी की अनिवार्यता

शिक्षा को लेकर राज ने कहा कि राजनीति में सफलता केवल शिक्षा की भाषा पर निर्भर नहीं करती। उन्होंने मराठी में दक्षता को सभी के लिए जरूरी बताया, लेकिन यह भी कहा कि जो लोग मराठी नहीं बोलते, उनके साथ दुर्व्यवहार नहीं होना चाहिए।

उद्धव ठाकरे का उद्बोधन:

उद्धव ठाकरे ने मंच पर एकजुटता को शब्दों से ज्यादा ताकतवर बताया। उन्होंने कहा: “जब से इस कार्यक्रम की घोषणा हुई, लोग बेसब्री से यह जानना चाहते थे कि हम क्या कहेंगे,” उद्धव ने कहा। “लेकिन मेरा मानना है कि हमारी एकता और यह साझा मंच हमारे शब्दों से ज्यादा प्रभावशाली है। राज ठाकरे पहले ही एक शानदार भाषण दे चुके हैं, और मुझे ज्यादा कुछ जोड़ने की आवश्यकता नहीं लगती।”

उन्होंने पार्टी के हिंदुत्व पर सवाल उठाने वालों को बालासाहेब ठाकरे की भूमिका की याद दिलाई। उन्होंने कहा कि दंगों के दौरान उनके अनुयायियों ने सभी हिंदुओं की रक्षा की और न्याय के लिए उनका समर्पण गलत रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।