स्वतंत्रता संग्राम के महान क्रांतिकारी, शिक्षक एवं लेखक विपिन चंद्र पाल जी की पुण्यतिथि पर उन्हें शत शत नमन
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में लाल, बाल, पाल की तिकड़ी का अनेक अवसरों पर जिक्र आता है। इनमें से बिपिन चंद्र पाल न सिर्फ एक स्वतंत्रता सेनानी थे बल्कि साथ ही वे श्रेष्ठ शिक्षक, लेखक, पत्रकार एवं क्रांतिकारी विचारों के लिए भी सुविख्यात थे । स्वतन्त्र भारत के स्वप्न को अपने मन में लिए 20 मई 1932 को कलकत्ता में आज ही के दिन वे चिरनिद्रा में सो गए थे।
19वीं सदी के अंतिम दशक में नरम और गरम दल में बंट गई थी. शुरू में नरम दल के नेता प्रभावी दिखे, लेकिन बाद में गरम दल के नेता ज्यादा सुर्खियों में रहे और इनमें लाल बाल और पाल की तिकड़ी बहुत प्रसिद्ध हुई पंजाब के लाला लाजपत राय, महाराष्ट्र से बाल गंगाधर तिलक और बंगाल के बिपिन चंद्र पाल अपने क्षेत्रों में ही नहीं बल्कि देशभर में लोकप्रिय हो गए थे. इस तिकड़ी में बिपिन चंद्र पाल को क्रांतिकारी विचारों का जनक के तौर पर जाना जाता है.
बिपिन चंद्र पाल की आरंभिक
शिक्षा घर पर ही फारसी भाषा में हुई थी। उन्होंने कुछ कारण के चलते ग्रेजुएट होने से पहले ही अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी तथा कोलकाता एक स्कूल में हेडमास्टर तथा वहां की ही एक पब्लिक लाइब्रेरी में लाइब्रेरियन की नौकरी की। बिपिन चंद्र पाल एक शिक्षक, पत्रकार, लेखक के रूप में बहुत समय तक कार्य किया तथा वे बेहतरीन वक्ता एवं राष्ट्रवादी नेता भी थे। जिन्हें अरबिंदो घोष के साथ, मुख्य प्रतिपादक के रूप में पहचाना जाता है। उन्होंने 1886 में 'परिदर्शक' नामक साप्ताहिक में कार्य आरंभ किया था, जो सिलहट से निकलती थी।
बिपिन चंद्र पाल सार्वजनिक जीवन के अलावा अपने निजी जीवन में भी अपने विचारों पर अमल करने वाले और चली आ रही दकियानूसी मान्यताओं के खिलाफ थे। उन्होंने एक विधवा महिला से विवाह किया था जो उस समय एक अचंभित करने वाली बात थी, क्योंकि उस समय दकियानूसी मान्यताओं के चलते इसकी इजाजत नहीं थी और इसके लिए उन्हें अपने परिवार से नाता तोड़ना पड़ा था।
स्वतंत्रता आंदोलन के कार्य:
कांग्रेस के क्रांतिकारी देशभक्त यानी लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक और विपिन चंद्र पाल यानी (लाल-बाल-पाल) की तिकड़ी का हिस्सा थे। वे स्वतंत्रता आंदोलन की बुनियाद तैयार करने में प्रमुख भूमिका निभाने वाली लाल-बाल-पाल की तिकड़ी में से एक थे तथा 1905 में बंगाल विभाजन के विरोध में अंग्रेजी शासन के खिलाफ इस तिकड़ी ने जोरदार आंदोलन किया, जिसे बड़े पैमाने पर जनता ने समर्थन किया था।