Gujarat: सूरत के रामनाथ घेला मंदिर में चढ़ाए जाते हैं जिंदा केकड़े, जानिए ये अनोखी प्रथा ?

Gujarat: सूरत के रामनाथ घेला मंदिर में चढ़ाए जाते हैं जिंदा केकड़े, जानिए ये अनोखी प्रथा ?
Shubham Pandey JHBNEWS टीम,सूरत 2025-01-25 17:07:00

गुजरात सूरत में इस ऐसा रहस्य मई मंदिर जिसमे भोले नाथ को केकड़ा अर्पण किया जाता है हम सभी ने अब तक यही देखा-सुना होगा कि मंदिर में भगवान को प्रसन्न करने के लिए कई चीज़ें चढ़ावे के रूप में चढ़ाई जाती हैं। इस चढ़ावे में दूध, दही, मिठाईयां, पुष्य, चन्दन, रोरी, सहद आदि शामिल होते हैं। इसके अलावा हर कोई अपनी श्रद्धा-भावना के अनुसार भगवान को खुश करने के लिए कुछ न कुछ अर्पित करता है। गुजरात के इस मंदिर में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए जीवित केकड़े चढ़ाए जाते हैं।


भक्तों द्वारा यहां भगवान शिव को चढ़ाए जाने वाले केकड़ों को पूजा के बाद तापी नदी में छोड़ दिया जाता है। भक्तों का कहना है कि उनके बच्चों को अपने जीवनकाल में कभी भी कान में दर्द का अनुभव नहीं होगा। एक भक्त फाल्गुनी ने कहा कि ऐसी मान्यता है कि यदि आप यहां केकड़े चढ़ाते हैं तो आपके कान संबंधी रोग दूर हो जाते हैं।

मंदिर के पुजारी मनोजगिरी गोस्वामी केंकड़े चढ़ाने की रस्म का श्रेय महाकाव्य रामायण को देते हैं। उनका कहना है कि यह प्रथा भगवान राम द्वारा मंदिर की स्थापना के बाद अस्तित्व में आई। भगवान राम ने इस मंदिर की स्थापना की थी और आशीर्वाद दिया था कि जो कोई भी एकादशी के दिन इस मंदिर में केंकड़े चढ़ाएगा उसकी इच्छा पूरी होगी।

तब से लोगों का मानना ​​है कि ऐसा करने से उनकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और उनका कल्याण भी सुनिश्चित होता है। मैंने सुना है कि जो कोई भी इस मंदिर में केकड़े चढ़ाता है, उसकी सभी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं दूर हो जाती हैं। मैं एक बीमारी से पीड़ित हूं और मैं यहां प्रार्थना करने और समस्या से छुटकारा पाने के लिए आया हूं, जीवित केकड़े लेकर आए एक भक्त हीरल चाबूवाला ने कहा।

एक भक्त ख़ुशी पांडेय ने कहा की भगवान शिव को चढ़ाए जाने वाले केकड़ों को पूजा के बाद तापी नदी में छोड़ दिया जाता है। सभी को यह केकड़ा चढ़ाना चाहिए और कभी भी उनके बच्चों को अपने जीवनकाल में कान में दर्द का अनुभव नहीं होगा। यह ऐसी मान्यता है कि यदि आप यहां केकड़े चढ़ाते हैं तो आपके कान संबंधी रोग दूर हो जाते हैं।

"एक अन्य भक्त पुष्पा ने कहा, 'यहां साल में एक बार केकड़े चढ़ाए जाते हैं। हमारा मानना है कि यहां केकड़े चढ़ाने से हमारे बच्चों के कान में दर्द नहीं होगा।"