Surat: कुडो टूर्नामेंट में 88 वर्षीय दादी के मार्शल आर्ट्स प्रदर्शन ने सबको किया हैरान, देखे वीडियो
सूरत में आयोजित इंटरनेशनल कुडो टूर्नामेंट इस बार एक अनोखे कारण से सुर्खियों में रहा। जहाँ देशभर के युवा खिलाड़ी अपनी फुर्ती और ताकत का प्रदर्शन कर रहे थे, वहीं 88 वर्षीय दादी शांता पवार ने सबका ध्यान अपनी ओर खींच लिया। महाराष्ट्र के पुणे की रहने वाली शांता पवार दादी ने अपनी उम्र को सिर्फ एक संख्या साबित करते हुए मार्शल आर्ट्स के करतब ऐसे दिखाए कि पूरा मैदान तालियों से गूंज उठा।
दादी शांता ने मंच पर लाठी और आत्मरक्षा की तकनीकों का प्रदर्शन किया, जिसे देखकर दर्शक दंग रह गए, उनकी फुर्ती, आत्मविश्वास और ऊर्जा देखकर खुद बॉलीवुड अभिनेता अक्षय कुमार भी मंच से दौड़कर नीचे आए और शांता दादी से गले मिल गए। उन्होंने दादी को “सच्ची योद्धा” बताया और कहा कि “ऐसी दादी से हमें सीखना चाहिए कि उम्र सिर्फ एक सोच है, अगर हौसला है तो सब मुमकिन है।”
इस मौके पर अभिनेता जैकी श्रॉफ ने भी अपने अंदाज़ में दर्शकों का दिल जीत लिया, उन्होंने गुजराती में कहा – “પછી મળીયે, આરામથી ઢોકળા ખાવા આવું!” (फिर मिलते हैं, आराम से ढोकला खाने आऊंगा), दर्शकों ने तालियों और हंसी के साथ उनका स्वागत किया।
जाने कौन है शांता पावर
पुणे की 88 वर्षीय शांता पवार दादी आज पूरे देश के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं। कभी सड़कों पर “डोंबाऱ्याचा खेल” (लाठी युद्ध कला) दिखाने वाली यह महिला अब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सम्मानित की जा रही हैं। उनकी कहानी केवल संघर्ष की नहीं, बल्कि साहस, आत्मनिर्भरता और स्त्री शक्ति की मिसाल है।
शांता पवार का जन्म महाराष्ट्र के बीड ज़िले में एक गरीब परिवार में हुआ था। बचपन से ही उन्हें लाठी और रस्सी जैसे पारंपरिक कलाओं में रुचि थी। उन्होंने आठ साल की उम्र में ही “लाठी-कला” में महारत हासिल कर ली थी। उनके पिता भी लोक कलाकार थे, और शांता ने उन्हीं से प्रेरणा लेकर यह कला सीखी।
समय बीतने के साथ हालात कठिन होते गए। पति की असमय मृत्यु और आर्थिक तंगी ने उन्हें झकझोर दिया। लेकिन हार मानने के बजाय शांता ने अपनी लाठी को हथियार बनाया। उन्होंने अपने परिवार का पेट पालने के लिए पुणे की सड़कों पर प्रदर्शन शुरू किया। 80 की उम्र में भी वे रोज़ाना 4-5 घंटे तक अभ्यास करती हैं।
आज शांता पवार न केवल पुणे की पहचान बन चुकी हैं बल्कि कई संस्थाओं के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। वे स्कूलों और कॉलेजों में जाकर लड़कियों को आत्मरक्षा के गुर सिखाती हैं। उनका कहना है की “मैं चाहती हूँ कि हर लड़की अपने बचाव के लिए तैयार रहे। ताकत किसी उम्र की मोहताज नहीं होती।”