सपने पूरे होने में देर लग सकती है, लेकिन मेहनत करने वालों के सपने जरूर पूरे होते है

सपने पूरे होने में देर लग सकती है, लेकिन मेहनत करने वालों के सपने जरूर पूरे होते है
Khushbu rajput JHBNEWS टीम,सूरत 2025-10-29 17:35:45

दुनिया में ऐसा कोई भी काम नहीं जो संभव नहीं है अगर हौसला मजबूत हो तो हर सपना पूरा हो सकता है, इंसान का कोई भी सपना अधूरा नहीं रहता चाहे उसकी उम्र कितनी भी हो वह तभी भी कामयाबी हासिल कर लेता है। आज हम इस कहानी में एक ऐसे शख्स के बारे में बात करेंगे जिन्होंने 20 से ज्यादा बार असफलताएं प्राप्त करने के बाद भी उन्होंने आखिर में सफलता प्राप्त की। 

आज हम बात करेंगे अशोक भद्रीगे की जो कभी एलआईसी एजेंट के लिए सर्विस बाय रहे इसके बाद मुंबई हाई कोर्ट के ड्राइवर बने, लेकिन अशोक का सपना ड्राइवर बनना या सर्विस बॉय बनना नहीं था, बल्कि अशोक का सपना था वकील बनना, वकील बनने के लिए अशोक ने कड़ी मेहनत की कई सालों तक लगातार उन्होंने मेहनत की अपने सपने तक पहुंचने के लिए उन्होंने 10 साल की मेहनत और 20 से ज्यादा असफल प्रयासों का सामना किया। 

इतना ही नहीं साल 2006 से 2016 तक उन्होंने बीकॉम के डिग्री प्राप्त करने के लिए संघर्ष किया लेकिन वह बार-बार असफल हुए, लेकिन वह कहते हैं ना हर अंधेरी रात के बाद सूर्य जरूर निकलता है इस तरह अशोक बार-बार असफल हुए लेकिन आखिरकार उन्होंने 2016 में अपना ग्रेजुएशन पूरा किया, परंतु संघर्ष अभी खत्म नहीं हुआ था। अभी और मुश्किलें आनी थी, वह मुश्किल थी एलएलबी में दाखिला लेने की अब एलएलबी में 40% मार्क के बजाय उनके पास से सिर्फ 36% थे जिसमें 4% की कमी थी।

अब यहां पर अशोक भद्रीगे का एडमिशन एलएलबी में नहीं हुआ लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी हार मानने की बजाय उन्होंने नया रास्ता चुना जरूरी समझा। 5 वर्ष तक एलएलबी कोर्स के लिए CET दिया, CET देने के बाद साल 2019 में चेंबूर कर्नाटक लॉ कॉलेज में एडमिशन लिया दिन में हाई कोर्ट के जजों की ड्राइविंग करते और रात में पढ़ाई करते अब यह चीज उनकी दिनचर्या बन चुकी थी।

अब ऐसे ही उनका काम चला रहा जज रियाज छागला और वरिष्ठ अधिवक्ता इकबाल छागला के साथ काम करते-करते उन्हें अपने सपनों की प्रेरणा मिलने लगी 5 सालों की लगातार मेहनत के बाद उन्होंने बिना किसी बैकलॉग के अपनी एलएलबी डिग्री हासिल कर ली। आपको बता दे कि आज वो मुंबई हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस श्री चंद्रशेखर के ड्राइवर हैं और अगले महीने ऑल इंडिया बार एग्जाम देने की तैयारी में भी है ताकि वह क्लास की प्रैक्टिस शुरू कर सके।

अशोक कहते हैं कि मैं हार नहीं मानी क्योंकि मुझे यकीन था कि एक दिन मैं वो बनूंगा जिसके लिए मैं सफर शुरू किया था। हालांकि इसके साथ ही मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई भी हाल ही में उनसे मिले और कहा है कि मुझे खुशी है कि अब लोग ग्रेजुएट बन गए हो अशोक, आगे उन्होंने कहा कि 85 ड्राइवरों में अब तक सिर्फ तीन ही लोग ग्रेजुएट हैं और अशोक उनमें से एक है।

अशोक भद्रीगे की कहानी से साबित होता है कि सपने पूरे होने में भले देर लग सकती है लेकिन मेहनत करने वालों के लिए असंभव भी संभव बन जाता है इसीलिए आप मेहनत करते रहिए एक न एक दिन आप सफलता जरुर हासिल करेंगे।