सपने देखिए और उनको पाने के लिए जी-जान लगा दीजिए : DSP अंजू यादव
कहने को तो हमारा देश चांद पर पहुंच गया है लेकिन आज भी महिलाओं के लिए वक्त नहीं बदला है, शहरों में परिवर्तन देखने को मिलते है लेकिन गांव में आज भी महिलाओं का हाल बेहाल ही है, अक्सर गांव के गरीब महिलाओं को सपने देखने का अधिकार नहीं होता है। और अगर उस महिला ने सपने देखे तो न जाने उसे क्या क्या सुनना पड़ता है। अगर एक स्त्री अपने ख्वाब के बारे में घर पर बताती है तो उसके साथ मार पीट, धमकियां दी जाती है इतना ही नहीं उसे गालियां सुनान पड़ता है, मायके भेज देना ये सब किया जाता है जो कि ये आम बात है हर महिला के लिए।अब ऐसे ही माहौल में सपने देखना और उसे पूरा करना सोचिए कितनी बड़ी बात हैं।
एक महिला जो सुबह से लेकर शाम तक घर के काम करती है और उसे अगले दिन का इंतजार करती है, उसका थका हुआ शरीर, उनकी उदास आंखे, उन्हीं आंखों में सपने, और बंधनों से जकड़ी एक औरत, उसे वही करना पड़ता हैं जो उसे बोला गया है।ये सब के बावजूद वो अगर अपने इच्छाओं के बारे में कहती है तो उसे ऐसे ऐसे काम दिए जायेंगे कि वो अपने संजोए हुएं सपने को भूल जाएंगी। ऐसे ही माहौल में डीएसपी अंजू ने एक सपना देखा और उसे सभी मुश्किलों का बावजूद पूरा कर के दिखाया।
अंजू जिनका जन्म हरियाणा के धौलेड़ा गांव के एक किसान परिवार में हुआ। उनके पिता लालराम यादव जो एक किसान है, उनकी माता का नाम सुशीला देवी है। अंजू ने सरकारी स्कूल में 12वीं तक की अपनी पढ़ाई की,उसके बाद बीए की पढ़ाई सरकारी कॉलेज से दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से प्राप्त की। डिग्री पूरा होने के बाद उनकी शादी राजस्थान के एक गांव में कर दी गई। जैसा कि आप सबको पता है कि एक लड़की की शादी होने के बाद उसको कितनी जिम्मेदारीयां उठानी पड़ती है। घर की लाख जिम्मेदारियों और बच्चे की परवरिश के साथ साथ अंजू ने कभी हार नहीं मानी। आगे बढ़ने और आत्मनिर्भर बनने के सपने को कभी मरने नहीं दिया अंजू यादव ने । घर वाले की विरोध के बावजूद भी अंजू ने शिक्षा और मेहनत जारी रखा।
अंजू बताती है कि सपना बहुत छोटा था, अपने बेटे और खुद को पालने का, इसके लिए मैंने कई ताने और पीड़ा सहे । लेकिन इसी बीच एक आज़ादी भरी ज़िंदगी को गर्व से चुन लिया । उनको ये आज़ादी धीरे धीरे बहुत सालों में मिली, और उसके बाद मुझे वो प्यार और सम्मान मिलने लगा जो सालों से नहीं मिला था। आपको बता दें कि अंजु सहित वो चार बहने है उसमें भी अंजू सबसे बड़ी बेटी है लालाराम की। जब उनको ससुराल से सपोर्ट नहीं मिला तो उन्होंने ससुराल छोड़ने का निर्णय ले लिया उसके बाद वो सरकारी भर्ती परीक्षाओं की तैयारी करने लगीं।
अंजू यादव ने 2 साल तक शिक्षक के रूप में कार्य किया, उन्होंने साल 2016 से 2018 तक मध्यप्रदेश नवोदय विद्यालय में टीचर के रूप में कार्य किया। इतना ही नहीं इसके बाद उन्होंने जयपुर व दिल्ली के सरकारी स्कूल में पढ़ाया। 2021 में निकली भर्ती में चयनित होने के बाद मई 2024 में उन्होंने DSP का पदभार संभाला, अंजू ने डीएसपी बन कर अपने माता-पिता का सिर गर्व से ऊँचा कर दिया।
अंजू कहती हैं- "सपने देखिए और उनको पाने के लिए जी-जान लगा दीजिए। एक दिन सब बदल जाता है। एक महिला के लिए थोड़ा ज़्यादा मुश्किल है। समय लगेगा, लेकिन आपके जज़्बे और मेहनत से बदलाव ज़रूर आएगा।"