लिथोट्रिप्सी पद्धति बिना सर्जरी के पथरी निकालने की एक कारगर विधि है: डॉ. गौरव बावड़िया

लिथोट्रिप्सी पद्धति बिना सर्जरी के पथरी निकालने की एक कारगर विधि है: डॉ. गौरव बावड़िया
Shubham Pandey JHBNEWS टीम,सूरत 2025-09-24 15:41:25

सूरत: आज के दौर में पथरी एक आम बीमारी बन गई है। पथरी होने पर बगल में दर्द, उल्टी, बुखार, बार-बार पेशाब आना और पेशाब में खून आना ये सभी लक्षण हैं। अगर पथरी का समय पर इलाज न किया जाए, तो आगे चलकर किडनी खराब होने की संभावना रहती है। इसलिए, पथरी का इलाज करवाना ज़रूरी है। पथरी निकालने के कई तरीके उपलब्ध हैं, जिनमें दवाइयाँ और अलग-अलग सर्जरी जैसे ESWL, URS, PCNL, RIRS शामिल हैं।

सूरत के न्यू सिविल अस्पताल के यूरोलॉजी विभाग के डॉ. गौरव बावड़िया जानकारी देते हुए बताते हैं कि पांच महीने पहले आई आधुनिक लिथोट्रिप्टर मशीन (डोर्नियर डेल्टा 3 प्रो) से एक्स्ट्राकॉर्पोरियल शॉक वेव लिथोट्रिप्सी (ESWL) पद्धति से मरीजों के शरीर में मौजूद पथरी को तोड़कर निकाला जाता है। गुर्दे में 2 सेंटीमीटर से छोटे और मूत्र मार्ग में 1 सेंटीमीटर से छोटे पथरी के लिए यह कारगर विधि है।

इस पद्धति में एक विशेष प्रकार की लिथोट्रिप्टर मशीन से उत्पन्न शक्तिशाली तरंगों (शॉक वेव्स) की मदद से पथरी को रेत की तरह कुचला जाता है, जो कुछ दिनों में धीरे-धीरे पेशाब के साथ बाहर आ जाता है। लिथोट्रिप्सी के बाद मरीज को खूब सारा तरल पदार्थ पीना पड़ता है। ताकि टुकड़ी हुई पथरी आसानी से पेशाब के रास्ते बाहर निकल सके। इस पद्धति में न तो कोई चीरा लगाया जाता है और न ही गुर्दे में दूरबीन डालने की जरूरत पड़ती है। इसलिए संक्रमण की कोई संभावना नहीं रहती। पिछले पांच महीनों में 56 मरीजों की सर्जरी की जा चुकी है। इस सर्जरी में उसी दिन छुट्टी दे दी जाती है।

इस पद्धति के फायदों की बात करें तो बताया जाता है कि इसमें रक्तस्राव की संभावना बहुत कम होती है। मरीज़ को जब अस्पताल में भर्ती कराया जाता है, तो उसी दिन ऑपरेशन के बाद उसे छुट्टी दे दी जाती है। इस पद्धति में, पथरी के आकार और संख्या के आधार पर मरीज़ को दो से तीन बार अस्पताल आना पड़ता है। दर्द बहुत कम या लगभग नहीं के बराबर होता है। इस प्रकार, सिविल अस्पताल में आधुनिक मशीनों की उपलब्धता से मरीज़ों का इसे इलाज किया जा रहा है।