अमेरिका–कनाडा उड़कर जाएगा दिल्ली का रावणः कीमत से ज्यादा फ्लाइट का खर्च

अमेरिका–कनाडा उड़कर जाएगा दिल्ली का रावणः कीमत से ज्यादा फ्लाइट का खर्च
Shubham Pandey JHBNEWS टीम,सूरत 2025-09-24 14:03:45

दिल्ली के टागोर गार्डन स्थित तीतरपुर रावण मार्केट में 70 साल से रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण के पुतले बनाए जा रहे हैं। इस वर्ष के पुतले को फाइनल टच दिया जा रहा है। इस बार अमेरिका और कनाडा से रावण के छोटे पुतले भेजने के ऑर्डर मिले हैं।

टागोर गार्डन में स्थित 70 साल पुराने तीतरपुर रावण मार्केट में, सड़क के दोनों ओर रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण के पुतले बनाए जा रहे हैं। उन्हें अंतिम रूप देने का काम जोरशोर से चल रहा है। इस बार अमेरिका और कनाडा में छोटे रावण के पुतले भेजने के ऑर्डर मिले हैं। हालांकि, इन्हें भेजने का खर्च पुतले की असली कीमत से ज्यादा होगा।

50 साल से रावण के पुतले बना रहे 76 वर्षीय महेंद्र रावणवाला ने बताया कि पिछले साल उन्हें विदेश से कोई ऑर्डर नहीं मिला था। लेकिन इस बार उन्हें अमेरिका और कनाडा में दो रावण के पुतले भेजने का ऑर्डर मिला है। दोनों पुतले लगभग ढाई फुट ऊँचे हैं। पुतले कुरियर के जरिए भेजे जाएंगे। अभी भी समय है, और ऑर्डर आ सकते हैं।

हरियाणा के सोनीपत के रायवाला गाँव के कारीगर राजा ने बताया कि स्थानीय महँगाई की वजह से रावण के पुतलों की माँग घटी है। वे दशकों से रावण के पुतले बना रहे हैं। इस बार भी वे बना रहे हैं, लेकिन स्थिति पहले जैसी नहीं है। वर्षों से 500 रुपये प्रति फुट की दर से रावण के पुतले बना और बेच रहे हैं। यहाँ 5 फुट से लेकर 50 फुट तक के पुतले बनाए जाते हैं। पटाखों पर प्रतिबंध और पुलिस की सख्ती की वजह से रावण बाजार में पुतलों की संख्या कम हो गई है।

साल में एक महीने चलने वाले इस बाजार को सबका सहयोग मिलना चाहिए। यहाँ रावण बनाने वाले सुबाष को बिहार के गाँधी मैदान में उनके काम के लिए सम्मान मिला है। वह बिहार के सीतामढ़ी के रहने वाले हैं। दीपक राठे ने बताया कि बिहार, उत्तर प्रदेश और हरियाणा से कारीगर यहाँ आते हैं। बढ़ती महँगाई के बावजूद लोग अभी भी रावण के पुतले के लिए 500 रुपये प्रति फुट देने को तैयार हैं।

भले ही रावण को राक्षस और बुराई का प्रतीक माना जाता हो, लेकिन उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में रावण की पूजा होती है। भारद्वाज मुनि के आदेश से भगवान राम ने रावण को वरदान दिया था कि कलियुग में प्रयागराज में गंगातट पर उसकी पूजा होगी। दशहरे के दिन रावण के अंदर की राक्षसी प्रवृत्तियों का दहन किया जाता है। लेकिन उससे पहले प्रयागराज में महाराजा रावण को हाथी पर बैठाकर नगर भ्रमण कराया जाता है। यह आयोजन खास तौर पर रावण की विद्वत्ता को पूजने के लिए मनाया जाता है।