ध्यान और योग के साथ-साथ आयुर्वेद भी जीवन के लिए उतना ही महत्वपूर्ण है - संत श्री देवरामदास वेदांतीजी
आज के समय में हम एंटीबायोटिक दवाओं का अत्यधिक उपयोग करते है, क्योकि ये संक्रमण को जल्दी ठीक करने में मदद करते है.इसके कारण हम आयुर्वेद को भूलते जा रहे है या यु कहे की बहुत सिमित मात्रा में उसका उपयोग करते है. अगर हम आयुर्वेद की बात करे तो आयुर्वेद 5000 साल पुरानी चिकित्सा पद्धति है, जो हमारी आधुनिक जीवन शैली को सही दिशा देने और स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होती है। इसमें जड़ी बूटि सहित अन्य प्राकृतिक चीजों से उत्पाद, दवा और रोजमर्रा के जीवन में इस्तेमाल होने वाले पदार्थ तैयार किए जाते हैं। इनके इस्तेमाल से जीवन सुखी, तनाव मुक्त और रोग मुक्त बनता है।
आयुर्वेद का महत्व
आयुर्वेद हमारे जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह शरीर, मन और आत्मा के समग्र संतुलन पर आधारित एक प्राचीन जीवन शैली और उपचार प्रणाली है. आयुर्वेद न केवल बीमारियों का इलाज करता है, बल्कि एक स्वस्थ, संतुलित और पूर्ण जीवन जीने की कला भी सिखाता है. आयुर्वेद संक्रमण के इलाज के लिए जड़ी-बूटियों, मसालों और खनिजों से प्राप्त प्राकृतिक उपचारों के उपयोग को बढ़ावा देता है। आयुर्वेद उपचार न केवल लक्षणों को संबोधित करते हैं बल्कि शरीर में अंतर्निहित असंतुलन को ठीक करने का भी काम करते हैं।
संत श्री देवरामदास वेदांतीजी कहते है कि "ध्यान और योग के साथ-साथ आयुर्वेद भी जीवन के लिए उतना ही महत्वपूर्ण है"इसका मतलब ये है कि स्वस्थ जीवन के लिए केवल शारीरिक और मानसिक अभ्यासों (योग और ध्यान) पर ध्यान केंद्रित करना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि इसके लिए भारतीय पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली, आयुर्वेद, को अपनाना भी उतना ही आवश्यक है। जो हमारा आयुर्वेद है वो शरीर के संतुलन, दोषों (वात, पित्त, कफ) को ठीक करने और बीमारियों को रोकने में मदद करता है.
सूरत में आज विश्व आयुर्वेद दिवस के अवसर पर, देवतरु वेदांत सनातन संघ द्वारा मेहंदीपुर बालाजी हनुमान मंदिर स्थित देवसर हॉल में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर अयोध्या से पधारे संत श्री देवरामदास वेदांतीजी महाराज ने कई महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक उत्पादों का शुभारंभ किया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संत श्री देवरामदास वेदांतीजी ने कहा कि जिस प्रकार स्वस्थ जीवन के लिए ध्यान और योग आवश्यक हैं, उसी प्रकार आयुर्वेद भी जीवन का अभिन्न अंग है। जब व्यक्ति स्वस्थ होगा, तभी वह ध्यान और योग का पूर्ण लाभ उठा सकता है। उन्होंने आगे कहा - "मेरा उद्देश्य भारत में आयुर्वेद को बढ़ावा देना है ताकि लोग प्राकृतिक उपचार और पारंपरिक ज्ञान से पुनः जुड़ सकें। इस अवसर पर अनेक गणमान्य व्यक्ति, आयुर्वेद विशेषज्ञ और श्रद्धालु बड़ी संख्या में उपस्थित थे।