बीड़ी या सिगरेट: कौन ज़्यादा ख़तरनाक है? जानिए दोनों के बीच अंतर और स्वास्थ्य पर असर

बीड़ी या सिगरेट: कौन ज़्यादा ख़तरनाक है? जानिए दोनों के बीच अंतर और स्वास्थ्य पर असर
Shubham Pandey JHBNEWS टीम,सूरत 2025-09-18 09:33:56

तंबाकू का सेवन कई रूपों में किया जाता है, जिनमें सबसे आम बीड़ी और सिगरेट हैं। बहुत से लोग मानते हैं कि बीड़ी सिगरेट से कम हानिकारक है, लेकिन यह धारणा ग़लत है। दोनों ही शरीर के लिए हानिकारक हैं। कैंसर, हृदय रोग, स्ट्रोक और फेफड़ों की बीमारियाँ – ये सब बीड़ी और सिगरेट दोनों से हो सकती हैं। यह मानना ग़लत है कि एक से कैंसर होता है और दूसरे से नहीं।

ग्रामीण इलाकों में लोग मानते हैं कि बीड़ी सिगरेट से कम नुकसान करती है क्योंकि इसमें सिर्फ तंबाकू और तेंदू का पत्ता होता है। लेकिन शोध बताते हैं कि बीड़ी न सिर्फ़ हानिकारक है बल्कि कई मामलों में सिगरेट से भी ज़्यादा खतरनाक हो सकती है। इसका मुख्य कारण यह है कि बीड़ी में फ़िल्टर नहीं होता, जिससे धुआँ सीधे शरीर में प्रवेश करता है।

इसके अलावा, बीड़ी का धुआँ सिगरेट से भी ज़्यादा ज़हरीला होता है क्योंकि तंबाकू के साथ-साथ बीड़ी में कई हानिकारक पदार्थ होते हैं, जो जलने पर धुएँ में मिल जाते हैं। इस धुएँ में कैंसर पैदा करने वाले तत्व मौजूद होते हैं, जो फेफड़ों के कैंसर, मुँह के कैंसर और गले के कैंसर का कारण बन सकते हैं।

बीड़ी और सिगरेट में अंतर –

सिगरेट में तंबाकू के साथ अलग-अलग रसायन और फ़िल्टर होते हैं, जबकि बीड़ी तेंदू के पत्ते में तंबाकू भरकर बनाई जाती है और इसमें फ़िल्टर नहीं होता। जब तेंदू का पत्ता जलता है तो ज़्यादा धुआँ निकलता है, जिससे पीने वाला व्यक्ति ज़्यादा मात्रा में धुआँ अंदर लेता है।


शोध क्या कहते हैं? –

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइज़ेशन (WHO) की रिपोर्ट के अनुसार:

बीड़ी पीने वालों को सिगरेट पीने वालों की तुलना में फेफड़ों के कैंसर का जोखिम ज़्यादा होता है।

बीड़ी पीने से क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस और अस्थमा जैसी बीमारियाँ होती हैं।

धूम्रपान दिल के दौरे और स्ट्रोक का ख़तरा बढ़ाता है।

धूम्रपान करने वालों में मुँह, गले और फेफड़ों के कैंसर की संभावना ज़्यादा रहती है।

बीड़ी पीने वालों के शरीर में निकोटिन और ज़हरीले तत्वों की मात्रा अधिक पाई जाती है।

बीड़ी में सिगरेट से ज़्यादा निकोटिन होता है

डॉ. भगवान मंत्री के अनुसार, दोनों ही स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं, लेकिन बीड़ी पीने से शरीर में निकोटिन और कार्बन मोनोऑक्साइड ज़्यादा पहुँचती है क्योंकि धुआँ अधिक होता है। इससे फेफड़ों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है और धुआँ खून के प्रवाह में घुल जाता है।

समाज और परिवार पर असर – बीड़ी का नुकसान सिर्फ़ पीने वाले तक सीमित नहीं है। इसका धुआँ पास बैठे लोगों के लिए भी खतरनाक होता है। यह धुआँ खासकर बच्चों और महिलाओं के लिए हानिकारक है और अस्थमा, एलर्जी और फेफड़ों की बीमारियों का कारण बन सकता है।