सुप्रीम कोर्ट ने OTT पोर्नोग्राफिक कंटेंट पर जताई चिंता, जानिए किसे जारी किया नोटिस?

सुप्रीम कोर्ट ने OTT पोर्नोग्राफिक कंटेंट पर जताई चिंता, जानिए किसे जारी किया नोटिस?
Shubham Pandey JHBNEWS टीम,सूरत 2025-04-28 16:51:10

सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अश्लील सामग्री को लेकर चिंता जताई है और केंद्र सरकार व अन्य को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस संबंध में दायर याचिका बेहद गंभीर है। अदालत ने केंद्र से कहा कि वह इस बारे में कुछ करे। केंद्र ने अदालत को बताया कि कुछ नियम लागू हैं और कुछ पर विचार किया जा रहा है।

न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि पोर्नोग्राफिक सामग्री को नियंत्रित करने का कार्य कार्यपालिका और विधायिका के अधिकार क्षेत्र में आता है। न्यायमूर्ति गवई ने कहा, "यह हमारा अधिकार क्षेत्र नहीं है, आपको कुछ करना चाहिए।"

न्यायालय में दायर याचिका में केंद्र को ओटीटी और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अश्लील सामग्री की स्ट्रीमिंग पर प्रतिबंध लगाने के लिए उचित कदम उठाने का निर्देश देने की मांग की गई है। याचिका में इन प्लेटफार्मों पर अश्लील सामग्री पर प्रतिबंध लगाने के लिए राष्ट्रीय सामग्री नियंत्रण प्राधिकरण के गठन के लिए दिशानिर्देश मांगे गए थे।

याचिका में दावा किया गया है कि सोशल मीडिया साइटों पर ऐसे पेज या प्रोफाइल हैं जो बिना किसी फिल्टर के अश्लील सामग्री प्रदर्शित कर रहे हैं और विभिन्न ओटीटी प्लेटफॉर्म बाल पोर्नोग्राफी को बढ़ावा देने वाली सामग्री स्ट्रीम कर रहे हैं।

याचिका में कहा गया है कि इस तरह की सामग्री न केवल बच्चों और युवाओं के दिमाग को प्रभावित करती है, बल्कि वयस्कों के दिमाग को भी प्रभावित करती है तथा अप्राकृतिक यौन प्रवृत्तियों को बढ़ावा देती है और इसलिए अपराध बढ़ता है। याचिका में कहा गया है कि यदि इसकी जांच नहीं की गई तो इसका सामाजिक मूल्यों, मानसिक स्वास्थ्य और सार्वजनिक सुरक्षा पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। आगे कहा गया कि इंटरनेट की सुगमता ने अश्लील सामग्री को सभी आयु वर्ग के उपयोगकर्ताओं के लिए उपलब्ध करा दिया है।

याचिका में मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति गठित की जाए और उसमें इस क्षेत्र के विशेषज्ञों को शामिल किया जाए। यह समिति केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड की तर्ज पर यह तय करने का काम करे कि ओटीटी और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर क्या सामग्री दिखाई जाए और यह तब तक जारी रहना चाहिए जब तक इस संबंध में कानून नहीं बन जाता।