Business : RBI ने मुंबई के इस नामी बैंक पर लगाया बैन, सूरत के व्यापारीओं पर पड़ा असर !

भारत में बैंकिंग सेक्टर में अक्सर ऐसी खबरें आती रहती हैं जो आम लोगों के लिए चिंता का विषय बन जाती हैं। अचानक, एक बैंक पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है और ग्राहक इस बात से भयभीत हो जाते हैं कि उनके पैसों का क्या होगा। अब ऐसी ही एक खबर आई है। मुंबई स्थित न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक के ग्राहकों पर संकट खड़ा हो गया है और रिजर्व बैंक ने इस बैंक पर प्रतिबंध लगा दिए हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक ने मुंबई के न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक पर प्रतिबंध लगा दिए हैं, जिसके तहत बैंक को नया ऋण देने या जमा स्वीकार करने की अनुमति नहीं होगी। रिजर्व बैंक ने बचत खातों, चालू खातों और किसी भी जमा खाते से निकासी पर प्रतिबंध लगा दिया है। रिजर्व बैंक के इस फैसले के बाद मुंबई के अंधेरी ईस्ट के विजय नगर स्थित बैंक की शाखा के बाहर निवेशकों की भारी भीड़ देखी जा रही है।
रिजर्व बैंक ने कहा है कि ये प्रतिबंध 13 फरवरी 2025 से शुरू होकर अगले 6 महीने तक प्रभावी रहेंगे। प्राप्त जानकारी के अनुसार बैंक पिछले दो वर्षों से लगातार घाटे में चल रहा है। मार्च 2024 में बैंक को 22.78 करोड़ रुपये का घाटा हुआ। मार्च 2023 में यह घाटा 30.75 करोड़ रुपये था। रिजर्व बैंक ने ग्राहकों के पैसे की सुरक्षा सुनिश्चित करने तथा बैंक पर और अधिक वित्तीय दबाव को रोकने के लिए यह कदम उठाया है और स्पष्ट किया है कि बैंक का लाइसेंस अभी रद्द नहीं किया गया है। बैंक की स्थिति पर नजर रखी जा रही है, इसलिए जिन लोगों ने न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक में पैसा जमा किया है, उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है। उन्हें पांच लाख रुपये तक का बीमा कवर मिलेगा। इसका मतलब यह है कि अगर बैंक को बंद करना पड़ता है तो प्रत्येक ग्राहक को अधिकतम पांच लाख रुपये वापस मिलेंगे, लेकिन अगर आपके बैंक खाते में इससे ज्यादा पैसे हैं तो आपको बैंक की वित्तीय स्थिति सुधरने का इंतजार करना होगा।
बैंक अब नये ऋण उपलब्ध नहीं करा सकेगा तथा पुराने ऋणों का नवीनीकरण भी नहीं कर सकेगा। बैंक नई एफडी नहीं खोल सकेगा। बैंक कोई नया निवेश नहीं कर सकेगा और न ही किसी को ऋण दे सकेगा। बैंक अपनी परिसंपत्तियों को बेचकर धन जुटाने का निर्णय नहीं ले सकता। फिलहाल रिजर्व बैंक ने ये प्रतिबंध छह महीने के लिए लगाए हैं, लेकिन अगर बैंक की स्थिति में सुधार नहीं होता है तो इन प्रतिबंधों को छह महीने से आगे भी बढ़ाया जा सकता है।
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