वैश्विक व्यापार युद्ध की आशंका के बीच भारतीय रुपये में तेज गिरावट, जाने कितना काम हुआ ?

वैश्विक व्यापार युद्ध की आशंका के बीच भारतीय रुपये में तेज गिरावट, जाने कितना काम हुआ ?
Shubham Pandey JHBNEWS टीम,सूरत 2025-02-03 17:14:24

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पूरी दुनिया में हलचल मचा दी है। उन्होंने कनाडा और मैक्सिको पर 25% और चीन पर 10% शुल्क लगा दिया है, जिससे वैश्विक स्तर पर टैरिफ वॉर भड़क उठा है और इसका असर भारतीय रुपये पर भी पड़ा है। आज शुरुआती कारोबार में रुपया 67 पैसे गिरकर 87.29 प्रति डॉलर के निचले स्तर पर पहुंच गया। वैश्विक व्यापार युद्ध की आशंका के बीच भारतीय मुद्रा में यह तेज गिरावट दर्ज की गई है।

शुक्रवार को इंटर-बैंक फॉरेन एक्सचेंज मार्केट में रुपया 86.61 पर बंद हुआ था, लेकिन आज बाजार खुलते ही इसमें भारी गिरावट आई और डॉलर के मुकाबले रुपया फिसलकर 87.29 के निचले स्तर पर पहुंच गया। फरवरी 2023 के बाद रुपये की यह सबसे कमजोर शुरुआत थी।

भारतीय रुपया तो गिर ही रहा है, लेकिन अगर हम दुनिया की अन्य मुद्राओं को देखें तो उनकी स्थिति भी खराब हो गई है। रुपये की तरह ही चीन, मैक्सिको और कनाडा की मुद्राओं में भी जबरदस्त गिरावट आई है। चीनी मुद्रा युआन भी रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गई है। मैक्सिको का पेसो और कनाडा का डॉलर भी अपनी सबसे कमजोर स्थिति में आ गए हैं, जबकि अमेरिकी डॉलर बहुत मजबूत हो गया है।

इस मामले में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) की रिपोर्ट राहत देने वाली है। SBI की रिपोर्ट में कहा गया है कि यह एक अल्पकालिक घटना साबित होने की उम्मीद है। वास्तव में, अमेरिका में ट्रंप यानी रिपब्लिकन शासन के दौरान रुपया स्थिर रहता है। अमेरिकी राष्ट्रपति निक्सन के कार्यकाल से यही परंपरा चली आ रही है। इसके विपरीत, डेमोक्रेटिक शासन के दौरान रुपया अधिक गिरता है। SBI की रिपोर्ट में बताया गया है कि ट्रंप के कार्यकाल के शुरुआती दिनों में उनके मनमाने फैसलों के कारण रुपये में गिरावट एक अल्पकालिक घटना होगी। रुपये में शुरुआती झटके के बाद कुछ दिनों में समायोजन हो जाएगा, इसलिए ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है।

भारत की रणनीति: भारत इस मामले में फिलहाल रक्षात्मक रुख अपनाते हुए बढ़ता दिख रहा है। इसकी ठोस वजहें भी हैं। माना जा रहा है कि ट्रंप भारत से ट्रेड सरप्लस कम करने को कह सकते हैं, लेकिन इस मामले में थोड़ी नरमी दिखाकर और अमेरिका से हथियार, तेल, गैस और कृषि उत्पादों की खरीद बढ़ाकर उन्हें शांत किया जा सकता है। यह इसलिए भी संभव दिखता है क्योंकि ट्रंप की प्राथमिकताएं अभी अलग हैं। लैटिन अमेरिका, चीन, यूरोपियन यूनियन और रूस से निपटना उनके अजेंडे में ऊपर है।

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