स्वतंत्र भारत में "UCC" लागू करने वाला पहला राज्य बना उत्तराखंड, जानिए UCC लागू होने से क्या- क्या होगा बदलाव ?

उत्तराखंड स्वतंत्र भारत का पहला राज्य बन गया है, जहां समान नागरिक संहिता (UCC) लागू की गई है। UCC या यूनिफॉर्म सिविल कोड के अमल से राज्य में विवाह, तलाक, लिव-इन रिलेशनशिप से लेकर उत्तराधिकार तक कई बड़े बदलाव हुए हैं। अब उत्तराखंड में सभी धर्मों के नागरिकों पर समान कानून लागू होंगे। अभी तक विवाह, तलाक और वसीयत जैसे मामलों में अलग-अलग पर्सनल लॉ के नियम लागू होते थे।
अब उत्तराखंड में विवाह, तलाक, उत्तराधिकार और लिव-इन संबंधों से जुड़े सभी मामले UCC के तहत नियंत्रित किए जाएंगे। UCC ने इस्लाम में प्रचलित हलाला पर रोक लगा दी है, और अब बहुविवाह भी गैरकानूनी होगा। विवाह की उम्र सभी के लिए समान होगी और तलाक की प्रक्रिया एवं आधार भी सभी धर्मों के लोगों के लिए समान होंगे।
उत्तराखंड में UCC लागू होने से क्या बदलाव होंगे, जानें:
- अब सभी धार्मिक समुदायों में विवाह, तलाक, भरण-पोषण और उत्तराधिकार के लिए समान कानून होगा।
- विवाह का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा।
- विवाह के छह महीने के अंदर रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होगा। 26 मार्च 2010 से पहले के विवाहों का रजिस्ट्रेशन कराना आवश्यक नहीं होगा।
- रजिस्ट्रेशन न कराने पर अधिकतम पच्चीस हजार रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है। अगर रजिस्ट्रेशन नहीं कराया गया, तो सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं मिलेगा।
- महिलाओं को भी पुरुषों की तरह तलाक का अधिकार होगा। बेटा और बेटी दोनों को संपत्ति में समान अधिकार मिलेगा। कानूनी और अवैध बच्चों में कोई अंतर नहीं होगा।
- किसी भी जाति, धर्म या समुदाय के लोगों पर तलाक के लिए समान कानून लागू होगा। अभी तक देश में धर्म के अनुसार इन मामलों का निपटारा होता है।
- अब उत्तराखंड में बहुविवाह पर रोक लगेगी। लड़कियों की शादी की उम्र जाति या धर्म की परवाह किए बिना समान होगी। शादी के लिए लड़कियों की उम्र 18 साल होनी जरूरी है।
- UCC लागू होने से हलाला जैसी प्रथाएं भी समाप्त हो जाएंगी। साथ ही, अब उत्तराधिकार में बेटियों को बेटों के बराबर माना जाएगा।
- कपल्स को अपने लिव-इन रिलेशनशिप का रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा। अगर किसी कपल की उम्र 18 से 21 साल के बीच है, तो उन्हें रजिस्ट्रेशन के समय माता-पिता से सहमति पत्र भी देना होगा।
- अनुसूचित जनजातियों को UCC के नियमों और कानूनों से पूरी तरह बाहर रखा गया है। इसके अलावा, ट्रांसजेंडर और धार्मिक प्रथाओं, जैसे पूजा के नियम और परंपराओं में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
UCC लागू करने की प्रक्रिया:
भाजपा ने 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान राज्य में UCC लागू करने का वादा किया था। चुनाव में जीत के बाद, 22 मार्च 2022 को पहली कैबिनेट बैठक में UCC पर विशेषज्ञ पैनल के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी। 27 मई 2022 को सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में एक पैनल का गठन किया गया, जिसे UCC का ड्राफ्ट तैयार करने का काम सौंपा गया। उत्तराखंड में समाज के विभिन्न वर्गों से चर्चा करने के बाद, देसाई समिति ने डेढ़ साल में चार खंडों में एक ड्राफ्ट तैयार किया। इसे 2 फरवरी 2024 को राज्य सरकार को सौंपा गया। इसके बाद इसे उत्तराखंड विधानसभा ने पारित किया। मार्च 2024 में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने इसे मंजूरी दी।
पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह की अध्यक्षता में दूसरी विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया। इस समिति को कानून के नियम तय करने का काम सौंपा गया। शत्रुघ्न सिंह समिति ने पिछले वर्ष के अंत में सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी। राज्य मंत्रिमंडल ने मुख्यमंत्री को UCC लागू करने की तारीख तय करने के लिए अधिकृत किया। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने 27 जनवरी 2025 से इसे लागू करने की घोषणा की।
यूनिफॉर्म सिविल कोड क्या है?
यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) का मतलब है कि देश में रहने वाले सभी नागरिकों (हर धर्म, जाति, लिंग के लोग) के लिए समान कानून। अगर यह लागू होता है, तो विवाह, तलाक, बच्चे को गोद लेने, संपत्ति के बंटवारे और लिव-इन संबंधों जैसी चीजों के लिए सभी नागरिकों पर समान कानून लागू होगा। शादी के साथ-साथ लिव-इन कपल्स को भी रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा।
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